राष्ट्रपति (President)
अनुच्छेद-54 राष्ट्रपति का निर्वाचन
राष्ट्रपति का चुनाव जनता के द्वारा परोक्ष रूप से एक निर्वाचक मण्डल के माध्यम से किया जाता है जिसमे लोकसभा के निर्वाचित सदस्य , राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा केन्द्रशासित प्रदेशो मे दिल्ली तथा पदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राज्य के रूप मे सम्मिलित होते है। अर्थात मनोनित सदस्य तथा राज्य-विधानपरिषदो के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव मे भाग नहीं लेते है
70 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के माघ्यम से दिल्ली तथा पडुचेरी को राष्ट्रपति के निर्वाचन मण्डल में राज्य के रूप मे शामिल किया गया।
💻Table Of Content:-
- अनुच्छेद-54 राष्ट्रपति का निर्वाचन
- अनुच्छेद-55 निर्वाचन की प्रक्रिया
- अनुच्छेद-56 कार्यकाल
- अनुच्छेद-57 पुर्ननिर्वाचन
- अनुच्छेद-58 योग्यता
- अनुच्छेद-59 शर्ते
- अनुच्छेद-60 शपथ
- अनुच्छ्र्रेद-61 पद से हटाना
- अनुच्छेद 62 - पद की रिक्तता
अनुच्छेद-55 निर्वाचन की प्रक्रिया -
आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा गुप्त मतदान के माध्यम से कीया जाता है।
वी0 वी0 गिरी- इनके चुनाव में दूसरी वरीयता का प्रयोग किया गया ये देश के प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति थे, श्रमिक यूनियन के नेता थे, इनके चुनाव को उच्चतम न्यायालय मे चुनौती प्रदान की गई तथा इन्हे व्यक्तिगत रूप में न्यायालय मे उपस्थित होना पडा।
अनुच्छेद-56 कार्यकाल-
सामान्यतः 05 वर्ष परन्तु राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर पहले भी पद से मुक्त हो सकता है।
उपराष्ट्रपति के द्वारा राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना सर्वप्रथम लोकसभा के अध्यक्ष को प्रदान की जाती हैं।
अनुच्छेद-57 पुर्ननिर्वाचन-
भारतीय संविधान मे राष्ट्रपति के पुर्ननिर्वाचन पर कोई प्रतिबन्ध नही लगाया गया है अर्थात कोई भी व्यक्ति भारत मे असीमित बार राष्ट्रपति के पद को धारण कर सकता है।
अनुच्छेद-58 योग्यता -
1. भारत का नागरिक हो।
2. उसकी आयु 35 वर्ष पूर्ण कर चुका हो।
3. वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
4. वह किसी भी लाभ के पद पर पर ना हो।
राष्ट्रपति के लिये निर्वाचक मण्डल के 50 सदस्य प्रस्तावक के रूप मे तथा 50 सदस्य समर्थक के रूप मे आवश्यक है एवं इस पद की जमानत राशि 15000 रू निर्धारित की गई है।
अनुच्छेद-59 शर्ते-
कोई भी संसद या विधानमण्डल का सदस्य राष्ट्रपति के पद का धारण नही करेगा तथा यदि किसी संसद सा विधानमण्डल के सदस्य के द्वारा राष्ट्रपति के पद को धारण किया जाता है तो पद ग्रहण की तारीख से उसे वहॉ से त्याग पत्र देना होगा।
राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान अन्य किसी भी लाभ के पद को धारण नही करेगा तथा उसकी पदावधि के र्दारान वेतन भत्तो एवं सुविधाओं मे कटौती नही की जा सकेगी
वर्तमान मे भारतीय राष्ट्रपति का वेतन पॉच लाख रूपये है तथा यह भारत की संचित निधी से प्रदान किया जाता है।
अनुच्छेद-60 शपथ-
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश अथवा उसकी अनुपस्थिति मे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायधीश के द्वारा राष्ट्रपति को संविधान तथा विधि के संरक्षण की शपथ प्रदान की जाती है।
अनुच्छ्र्रेद-61 पद से हटाना -
राष्ट्रति को संविधान के अतिक्रमण के आधार पर 14 दिन की पूर्व सूचना देकर पद से हटाने के लिए महाभियोग का संकल्प लगाया जाता है।
राष्ट्रपति के विरूद्ध महाभियोग संसद के किसी भी सदन मे प्रस्तावित किया जा सकता है। महाभियोग का संकल्प लाने के लिये कुल सदस्यों के 1/4 सदस्य तथा उसे पारित करने के लिए सदन के लिए सदन के कुल सदस्यो के 2/3 बहुमत की आवश्यकता होती है।
यदि एक सदन से महाभियोग का संकल्प पारित हो जाता है तो दूसरे सदन मे उसकी जॉच की जाती है जहॉ पर राष्ट्रपति स्चयं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर या अपने किसी मध्यस्थ के माध्यम से अपना बचाव कर सकते है राष्ट्रपति के द्वारा अपना पक्ष रखने के बावजूद यदि दूसने सदन के द्वारा अपने कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से महाभियोग का संकल्प पारित कर दिया जाता है तो उस तारीख से राष्ट्रपति के पद पर आसीन व्यक्ति का पद समाप्त हो जाता है।
अभी तक किसी भी भारतीय राष्ट्रपति के विरूद्व महाभियोग का संकल्प पारित नहीें हुया है।
महाभियोग की प्रकिया मे लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सभी सदस्य शामिल होते है
महाभियोग एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जिसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है
अनुच्छेद 62 - पद की रिक्तता
राष्ट्रपति का चुनाव उसके कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व संपन्न करा लिया जाएगा तथा यदि किसी कारणवश जैसे मृत्यु त्यागपत्र महाभियोग द्वारा राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो अगले छह माह में राष्ट्रपति का चुनाव कराया जाना आवश्यक है अगला उत्तराधिकारी पूरी 5 वर्ष तक अपने कार्यकाल को धारण करेगा