#बौद्ध धर्म#
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध को माना जाता है इसके तीन अंग है
महात्मा बुद्ध (स्वयं)
उपदेश (धम्म)
संघ प्रचार-प्रसार – बौद्ध भिक्षु भिक्षुणीयां
महात्माबुद्ध का बचपन का नाम - सिद्धार्थ
जन्म – 563 ई. पू.
स्थान:- कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी गाँव/नेपाल के तराई क्षेत्र में5
पिता:- शुद्धोधन (कपिलवस्तु के शाक्य कुल के राजा)
माता:- महामाया (कौशल राज्य की राजकुमारी)
विमाता/मौसी:- प्रजापति गौतमी
पत्नी:– यशोधरा
पुत्र:- राहूल
महात्मा बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु में हुआ था।सत्य की खोज एवं ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य से वैशाख पूर्णिमा को 19 वर्ष की आयु में गृह त्याग किया।
#इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
#अलोम नदी के किनारे मुंडन किया व गुरू की तलाश में निकल पड़े
#अलार कलाम से शिक्षा ग्रहण की।
#35 वर्ष में बौद्ध गया, पीपल वृक्ष के नीचे, सर्वोच्च ज्ञान की प्राप्ति की यह घटना सम्बोधि कहलाई।
महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाएँ एवं प्रतीक
*माता के गर्भ में प्रवेश-हाथी
*महात्मा बुद्ध का जन्म-कमल
*योवनावस्था-सांड
*गृह त्याग (महाभिनिष्क्रमण)-घोड़ा
*ज्ञान प्राप्ति (सम्बोधि)पीपल का पेड़
*समृद्धि का प्रतीक -शेर
*मृत्यु (महापरिनिर्वाण)पद चिह्रन
*निर्वाण- स्तुप
पहला उपदेश :- पहला उपदेश सारनाथ (उत्तर प्रदेश) में दिया इस घटना को महाधर्मच्रकपर्वतन कहते है
*पहला शिष्य – आनन्द
धम्म :- महात्मा बुद्ध के उपदेशों को धम्म कहते हैं।
उपदेश :- महात्मा बुद्ध ने उपदेश स्थानीय भाषा, प्राकृत, पाली, अर्द्धमागधी में दिये।
चार आर्य सत्य
1. सर्वत्र दुखम
2. दुख समुदाय – दुख का कारण होता है।
3. दुख निवारण – दुख का निवारण संभव
4. दुख निवारण मार्ग – अष्टांगिक मार्ग
मनुष्य अष्टांगिक मार्ग पर चलकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
अष्टांगिक मार्ग
1. सम्यक दृष्टि :- दृष्टि व दृष्टिकोण सही (सत्य व असत्य को पहचानें)
2. सम्यक संकल्प :- इच्छा व हिंसा रहित संकल्प
3. सम्यक वाणी :- मृदु वाणी (अपशब्द ना बोलें)
4. सम्यक कर्म :- सत्कर्म, दया, दान, सदाचारी अहिंसक कर्म
5. सम्यक आजीव :- सदाचार पूर्वक जीवन यापन
6. सम्यक व्यायाम :- विवेकपूर्ण प्रत्यन, शारीरिक क्रियाएँ
7. सम्यक स्मृति :- स्मृति अच्छी (मानसिक स्थिति)।8. सम्यक समाधि :- चित की एकाग्रता
अन्य उपदेश:-महात्मा बुद्ध अज्ञेयवादी (ईश्वर का अस्तित्व ना तो माना ओर ना ही नकारा)
वेदों को पूर्णत नकार दिया था
मनुष्य को ही भविष्य का निर्माता बताया
महात्मा बुद्ध पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे
ऊच नीच के कट्टर विरोधी थे – समानता को महत्व दिया।
बौद्ध धर्म के तीन
अंग-महात्मा बुद्ध
उपदेश (धम्म)
संघ, भिक्षु-भिक्षुणियों का समुह
बौद्ध अनुयायिभिक्षु/भिक्षुणी :- यह बोध्य धर्म का प्रचार करते थे तथा संयासी जीवन व्यतित करते थे।
उपासक :- गृहस्थ जीवन में रहकर भी बौद्ध धर्म का अनुसारण करते थे।
संघ
भिक्षु-भिक्षुणिओं तथा उपासकों का समुह संघ कहलाता था।संघ का कार्य धर्म का प्रचार-प्रसार करना तथा बिल्कुल सटीक धर्म का पालन करना।संघ की व्यवस्था पुर्ण रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आधारित थी।किसी भी बैठक हेतु गणपूर्ति आवश्यक थी।फैसला-बहूमत से होता था।संघ में प्रवेश हेतु न्युनतम आयु 15 वर्ष रखी गई थी।शुरूआती समय में स्त्रीयों को संघ में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।- संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम स्त्री-प्रजापति गौतमी- संघ में प्रवेश करने वाली गणिका-अम्रपाली- संघ में प्रवेश करने वाला प्रथम बालक-राहूलसंध में कुष्ठ रोगी, टी.बी. मरीज (क्षय रोग) व अन्य संक्रामक बीमारी का मरीज प्रवेश निषिद्ध था।चोर, लुटेरे, असामाजिक तत्व तथा सैनिकों का प्रवेश वर्जित था।राजा प्रवेश कर सकता था।
बौर्द्ध धर्म के ग्रंथ
बौद्ध ग्रंथों की रचना पाली भाषा में की गई हैं।सर्वाधिक महत्वपुर्ण ग्रंथ – त्रिपिटक
- विनय पिटक:- इसका सग्रहण पहली बौद्ध महासंगीती में किया गया था।
- सुत पिटक:- इसका सग्रहण पहली बौद्ध महासंगीती में किया गया था।
- अभिधम्म पिटक:- बौद्ध संगीति मोर्य अशोक इसका संग्रहण तीसरी बौद्ध महासंगीती में किया था।
पिटक
ऐसे ग्रंथ जिसमें ज्ञान कों संग्रहित किया गया है।
विनय पिटक
इस पिटक में बौद्ध संघ के नियम बताए गए हो।ज्यादातर बाते भिक्षु – भिक्षुणीयों हेतु बताई गई है।
सुत पिटक
इसमें बौद्ध धर्म की विस्तृत व प्रमाणिक जानकारीया दी गई।बौद्ध धर्म के सिद्धांत/उपदेश दिये गये है।
सुत पिटक को पांच निकाय में विभाजित किया गया है।
- दीघ निकाय
- मज्जिम निकाय
- खुद्क निकाय
- अंगुतर निकाय
- संयुक्त निकाय
खुद्दक निकाय में बौद्ध धर्म से जुड़े 10-15 ग्रंथो का संकलन है।
जातक कथाए:- बुद्ध के जन्म से जुड़ी व जन्म के पूर्व की कथाए जातक कथाए कहलाती है
धम्मपद:- धम्मपद का स्थान बौद्ध धर्म में वही है। जो सनातन धर्म में गीता का होता है।
थेरीगाथा:- खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों मे से एक है
विनय पिटक तथा सुत पिटक पहली बौद्ध महासंगीति के दौरान अस्तित्व में आया।
अभिधम्म पिटक
इसमें प्रश्नोत्तर शैली में बौत्र धर्म के उपदेश व सिद्धांतों को समझाया गया है।अभिधम्म पिटक तीसरी बौद्ध महासंगीति के दौरान अस्तित्व में आया।
अन्य ग्रंथ
द्वीपवंश, महावंश बुद्ध चरित्र (अश्वघोष द्वारा रचित) इसमें बुद्ध की जीवनी है इसे बौद्ध धर्म की रामायण कहा जाता है।सर एडविन अर्नोड द्वारा रचित एक प्रसिद्ध (The Light Asia) ग्रंथ है जिसमें गौतम बुद्ध के जीवन चरित का वर्णन है। यह ग्रंथ सन् 1879 में लंदन से प्रकाशित हुआ
## बौद्ध महासंगीतीया
# पहली बौद्ध संगीती
अध्यक्ष-महाकस्स्प
स्थान – राजगृह
राजा – अजातशत्रु (हर्यक वंश)
समय – 483 BC
इस महासंगीती में विनय पिटक व सुत पिटक का संग्रह किया गया।
# दूसरी बौद्ध संगीती
अध्यक्ष - सबकमीर
स्थान – वैशाली
राजा – कालाशोक (शिशुनाग)
समय – 383 BCइस ग्रंथी में बौद्ध धर्म दो भागों में बटं गया
1.स्थाविर2. महासंधिक
#तीसरी बौद्ध संगीती
अध्यक्ष – मौगलीपुत्र तिस्त
स्थान – पाटलीपुत्र
राजा - अशोक (मौर्य)समय – 251 BC
इस संगीतीमी में अभिधम्म पिटक का संग्रहण किया गया
#चतुर्थ बौद्ध महासंगीती
अध्यक्ष – वसुमित्र
उपाध्यक्ष – अश्वघोष
स्थान – कुण्डलवन कश्मीर
राजा – कुषाण वंशी कनिष्क
समय – 72 ईस्वी
विशेष टिप्पणी
बौद्ध भिक्षुओं में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया-
1. हीनयान- यह सम्प्रदाय मगध व श्रीलंका में ही फैल पाया था। यह रुढ़ीवादी बौद्ध धर्म को मानते है तथा बौधिसत्वों की पुजा करते हैं।• यह मूर्ति पुजा विरोधी होते हैं और कट्टरपंथी विचारधारा प्रवत्ति के होते है।
2. महायान- यह सम्प्रदाय दक्षिण-पूर्वी एशिया, कोरिया, जापान, चीन, भारत में फैला।• इन्होंने विज्ञानवाद को बढ़ावा दिया।• यह भगवान को मानते हैं और बुद्ध की मूर्ति को पूजते हैं यह उदारवादी विचार प्रवृत्ति के होते हैं।
राजा- जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
1. सम्राट अशोक - सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के स्थाविर शाखा का अनुयायी था तथा इनके समय में तीसरी बौद्ध महासंगीती का आयोजन किया गया।
2. कनिष्क - कुषाण शासक कनिष्क बौद्ध धर्म के महायान शाखा का अनुयायी था इनके समय में चौथी बौद्ध महासंगीती का आयोजन किया गया।
3. हर्षवर्धन - हर्षवर्धन बौद्ध धर्म के महायान शाखा का अनुयायी था।• इनके काल में बौद्ध धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया।
वज्रयान सम्प्रदाय-
• आठवीं सदी में वज्रयान सम्प्रदाय बंगाल व बिहार में प्रचलित हुआ।
• इसके ग्रंथ मंजुश्रीमुलकल्प तथा गुह्य समाज में वज्रयान के सिद्धान्त संग्रहित है।
अन्य तथ्य-• महात्मा बुद्ध की मृत्यु (महापरिनिर्वाण) कुशीनगर, उत्तरप्रदेश में 483 ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में हुआ।• महात्मा बुद्ध आठ माह तक धर्म का प्रचार-प्रसार करते थे तथा बसंत ऋतु में आराम करते थे।• इनकी शिष्या अमरपाली जो लिछवियों की राजनृत्यांगना थी।