Notes || Sources of the Indian Constitution ||भारतीय संविधान के स्रोत

                                             
  Notes ||  Sources of the Indian Constitution ||भारतीय संविधान के स्रोत

1. विदेशी स्रोत
भारतीय संविधान में विश्व के लगभग सभी अच्छे संविधानों से सामग्री लेकर विशाल एवं सर्वश्रेष्ठ संविधान बनाया गया।    

() इंग्लैण्ड - हमारे देश के संविधान पर सर्वाधिक विदेशी प्रभाव इंग्लैण्ड का है जैसे -
(1)
संसदात्मक लोकतन्त्र
(2)
दोहरी कार्यपालिका (नाममात्र एवं वास्तविक)
(3)
इकहरी नागरिकता
(4)
विधि का शासन
(5)
विधि निर्माण की प्रक्रिया
(6)
मंत्रिमण्डल का सामुहिक उत्तरदायित्व उपर्युक्त सभी व्यवस्थाऐं इंग्लैण्ड के संविधान से अंगीकृत हैं।


() अमेरिका (U.S.A.) - विश्व का प्रथम लिखित संविधान होने से विश्व की पहली संवैधानिक प्रस्तावना अमेरिकन संविधान में लिखी गई है। वहीं से हमने भी प्रस्तावना लिखने की प्रेरणा ली। इसके अलावा -
(1)
मूल अधिकार
(2)
सर्वोच्च न्यायालय का संगठन एवं न्यायिक पुनरावलोकन
(3)
उपराष्ट्रपति का पद (उच्च सदन सभापति को उपराष्ट्रपति बनाया गया)
(4)
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया भी अमेरिकन संविधान से ली गई है।
(
) आयरलैण्ड - यहां से -
(1)
नीति निर्देशक तत्व
(2)
राष्ट्रपति का निर्वाचक मण्डल
(3)
राज्य सभा में मनोनीत 12 सदस्य अंगीकृत किए गए।
(
) ऑस्ट्रेलिया - यहां से समवर्ती सूची एवं प्रस्तावना की भाषा अपनायी गई।
(
ड़) कनाडा - यहां से शक्तिशाली संघीय ढांचा लिया गया।
(
) जर्मनी - 1920 के दशक में निर्मित वाईमर गणतन्त्र से हमने आपातकालीन उपबन्ध लिए।
(
) फ्रांस - यहां से गणतन्त्रात्मक व्यवस्था ली गई। स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व के शब्द भी फ्रांस से लिये गये हैं।
(
) दक्षिणी अफ्रीका - यहां से संविधान संशोधन प्रणाली जिसको अनु. 368 में शामिल किया गया है।
(
) जापान - यहां से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया ली गई।
(
) रूस - मौलिक कर्त्तव्य 42वें संविधान संशोधन के द्वारा 1976 में जोड़े गए; जो कि रूस से लिये गये थे।

2. भारतीय स्रोत 
(
) अंग्रेजों द्वारा समय-समय पर निर्मित कानून जिसमें 1935 का भारत शासन अधिनियम मुख्य आधार है।
(
) 1929 की मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट, जिसके आधार पर पिछड़ी जाति, जनजातियों को आरक्षण, कल्याणकारी शासन जैसे प्रावधान संविधान में शामिल किए गये।

उल्लेखनीय है कि विदेशी संविधानों के उपबन्धों को भारतीय वातावरण के अनुरूप बनाकर संविधान में शामिल किया है।

भारतीय संघीय व्यवस्था की प्रकृति

सरकार या तो एकात्मक हो सकती है या संघीय हो सकती है जो केन्द्र सरकार और इसकी इकाइयों के बीच पारस्परिक संबंध पर निर्भर करता है। संघीय शासन प्रणाली में शक्तियां केन्द्र और इसकी इकाइयों के बीच विभाजित होती हैं जबकि एकात्मक प्रणाली में सारी शक्तियां केन्द्र के पास केन्द्रित होती हैं।

भारतीय संघीय प्रणाली

हमारे संविधान का अनुच्छेद 1 भारत का वर्णन राज्यों के एक संघ (यूनियन) के रूप में करता है यद्यपि भारत में सरकार की प्रणाली संघीय (फेडरल) है। डॉ. अंबेडकर के अनुसार भारतीय संघ इकाइयों के साथ समझौते की प्रासंगिकता के कारण अस्तित्व में नहीं आया और यह अनश्वर है अर्थात् इकाई इससे अलग नहीं हो सकती है। व्यवहार में भारतीय संघ में संघीय और एकात्मक (यूनीटरी) दोनों प्रणालियों का समावेश है।

Notes || अनुसूचियाँ

अनुसूचियाँ

-         प्रथम अनुसूची-

           राज्यों के नाम एवं उनके न्यायिक क्षेत्र, संघ राज्य क्षेत्रों के नाम और उनकी सीमाएँ।

 

-         दूसरी अनुसूची-

           भारत के राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उप-सभापति, राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष राज्य विधान परिषदों के सभापति और उप सभापति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है|

 

-         तीसरी अनुसूची-

           इसमें विभिन्न उम्मीदवारों द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान के प्रारूप दिये गए हैं। संघ के मंत्री, संसद के लिए निर्वाचन हेतु अभ्यर्थी, संसद के सदस्य, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, राज्य मंत्री, राज्य विधानमण्डल के लिए निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी, राज्य विधानमण्डल के सदस्य, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश आदि के बारे में उल्लेखित है।

 

 -        चौथी अनुसूची-

           राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए राज्यसभा में सीटों का आवंटन।

 

-         पाँचवी अनुसूची-

           अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन तथा नियंत्रण के बारे में उपबंध।

 

-         छठी अनुसूची-

           असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध।

 

-         सातवीं अनुसूची-

           संघ सूची , राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के संदर्भ में राज्य और केन्द्र के मध्य शक्तियों का विभाजन।

 

-         आठवीं अनुसूची-

           संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएँ (मूल रूप से 14 मगर फिलहाल 22) ये भाषाएँ हैं- असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू तथा उर्दू।

-         सिंधी भाषा को 1967 के 21वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।

-         कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को 1992 के 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा और बोड़ो, डोगरी, मैथिली और संथाली को 2003 के 92वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।

 

-         नवीं अनुसूची

           भू-सुधारों और जमींदारी प्रणाली के उन्मूलन से संबंधित राज्य विधानमण्डलों और अन्य मामलों से संबंधित संसद के अधिनियम और विनियम (मूलतः 13 परन्तु वर्तमान में 282)

-         इस अनुसूची को पहले संशोधन (1951) द्वारा मूल अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर न्यायिक समीक्षा से इसमें सम्मिलित कानूनों से इसे बचाने के लिए जोड़ा गया था। तथापि वर्ष 2007 में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि इस अनुसूची में 24 अप्रैल, 1975 के बाद सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।

 

-         दसवीं अनुसूची-

           दल-बदल के आधार पर संसद और विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता के बारे में उपबंध, इस अनुसूची को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया। इसे दल-परिवर्तन रोधी कानून भी कहा जाता है।

 

-         ग्यारहवीं अनुसूची-

           पंचायत की शक्तियों, प्राधिकारों जिम्मेदारियों से संबंधित - इसमें 29 विषय हैं।

-         इस अनुसूची को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया।

 

-         बारहवीं अनुसूची-

           नगरपालिकाओं की शक्तियाँ, प्राधिकार जिम्मेदारियाँ। इसमें 18 विषय हैं।

-         इस अनुसूची को 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया।

Notes || भारतीय संविधान के प्रमुख स्त्रोत

भारत के संविधान में अधिकतर उपबंध विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों से प्रभावित हैं, लेकिन इस पर सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम, 1935 का पड़ा। संविधान के प्रमुख स्त्रोत निम्न हैं-

-         भारत शासन अधिनियम, 1935 -

1. संघीय तंत्र

2. राज्यपाल का कार्यकाल

3. न्यायपालिका

4. लोक सेवा आयोग

5. आपतकालीन उपबंध प्रशासनिक विवरण

 

-         ब्रिटेन का संविधान

1. संसदीय शासन

2. विधि का शासन

3. विधायी प्रक्रिया

4. एकल नागरिकता

5. मंत्रिमण्डल प्रणाली

6. परमाधिकार लेख

7. संसदीय विशेषधिकार और द्विसदनवाद

 

-         संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान

1.मूल अधिकार

2.न्यायपालिका की स्वतंत्रता

3.न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धान्त

4.उप-राष्ट्रपति का पद

5.उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का पद से हटाया जाना

6. राष्ट्रपति पर महाभियोग

 

-         आयरलैंड का संविधान

1. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त

2. राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति

3. राज्य सभा के लिए सदस्यों का नामांकन

 

 -        कनाडा का संविधान

1. सशक्त केन्द्र के साथ संघीय व्यवस्था

2. अवशिष्ट शक्तियों का केन्द्र में निहित होना

3. केन्द्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति और उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन

 

-         ऑस्ट्रेलिया का संविधान

1. समवर्ती सूची

2. व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता

3. संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक

 

-         जर्मनी का वाइमर संविधान

           1. आपातकाल के समय मूल अधिकारों का स्थान

 

-         सोवियत संघ का संविधान

           1. मूल कर्तव्य

           2. प्रस्तावना में न्याय का आदर्श

 

-         फ्रांस का संविधान

           1. गणतंत्रात्मक

           2. प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्श

 

-         दक्षिणी अफ्रीका का संविधान -

           1. संविधान में संशोधन की प्रक्रिया

           2. राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन

 

-         जापान का संविधान

           1. विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

 

 

Notes || भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ

भारतीय संविधान के भाग:-

संघ राज्य क्षेत्र, 2. नागरिकता, 3. मूल अधिकार, 4. राज्य नीति निर्देशक तत्व, 4() मूल कर्त्तव्य, 5. संघ, 6. राज्य, 7. निरसित, 8. संघ राज्य क्षेत्र, 9. पंचायत, 9() नगर पालिकाएं, 10. अनुसूचित जनजाति क्षेत्र, 11. संघ राज्यों के मध्य सम्बन्ध, 12. वित्त सम्पत्ति, 13. भारत का आन्तरिक व्यापार, 14. संघ राज्यों के अधीन सेवाएं, 14() अभिकरण, 15. निर्वाचन, 16. विशेष वर्ग़ों के उपबन्ध, 17. राजभाषा, 18. आपात उपबन्ध, 19. प्रकीर्ण, 20. .संशोधन, 21. अस्थायी संक्रमणकालीन विशेष उपबन्ध, 22. संक्षिप्त नाम, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ।

भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ:

प्रथम अनुसूची - इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (29 राज्य) एवं संघ शासित (सात) क्षेत्रों का उल्लेख है।

        नोट- संविधान के 69वें संशोधन-1991 के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है।

द्वितीय अनुसूची- इसमें भारतीय राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद् के संभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होनेवाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है।

तृतीय अनुसूची - इसमें विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ (Oath) का उल्लेख है।

चौथी अनुसूची - इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।

पाँचवीं अनुसूची - इसमें विभिन्न अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों के प्रशासन और नियत्रंण के बारे में उल्लेख है।

छठी अनुसूची - इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।

सातवीं अनुसूची - इसमें केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बँटवारे के बारे में विवरण दिया गया है। इसके अन्तर्गत तीन सूचियाँ (Inventories) हैं- संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।

(1)  संघ सूची - इस सूची में दिए गए विषय पर केन्द्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे। वर्तमान समय में इसमें 99 विषय हैं। जैसे-सीमा, आयकर, जनगणना (Census), विदेश, परमाणु ऊर्जा, रक्षा इत्यादि।

(2)  राज्य सूची - इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित विषय होने पर केन्द्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय है। जैसे- क्रय-विक्रय, पुलिस, लोक व्यवस्था, स्टाम्प शुल्क, भू-राजस्व, कृषि इत्यादि।

(3)  समवर्ती सूची - इसके अन्तर्गत दिए गए विषय पर केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकार कानून बना सकती हैं। परन्तु कानून के विषय समान होने पर केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है। राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केन्द्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है। संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे। वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं। जैसे-शिक्षा, चिकित्सा, वन, जनसंख्या नियंत्रण, सहकारिता, पंचायती राज, समाचार-पत्र इत्यादि।

नोट - समवर्ती सूची का प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में नहीं है।

आठवीं अनुसूची - इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं, 1967 . में सिंधी को और 1992 . में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। 92वें संविधान संशोधन 2004 . में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोड़ो भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

नौवीं अनुसूची - संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अन्तर्गत राज्य द्वारा सम्पत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 285 अधिनियम हैं।

दसवीं अनुसूची - यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है। 91वाँ संशोधन द्वारा इसमें संशोधन किया गया है।

ग्यारहवीं अनुसूची - यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गयी है। इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं।

बारहवीं अनुसूची - यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन (1994) के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किए गए हैं।

 


StudyPanal

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